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DNA with Sudhir Chaudhary: रोबोट के भरोसे चल रही पूरी अर्थव्यवस्था, जापान कैसे बन गया दुनिया का रोबोट कैपिटल?

DNA on Japanese Robotic Technology and the Loneliness Problem: जापान के पास पैसा, Technology और Robots हैं लेकिन Emotions नहीं हैं. वहां के लोगों के पास अब एक दूसरे से बात करने का भी समय नहीं है, इसलिए जापान एक ऐसा देश बन गया है, जो बूढ़ा भी है और अकेला भी. जापान को बूढ़ों का देश कहते हैं और दुनिया में सबसे ज्यादा बुजुर्ग लोग यहीं रहते हैं. 

जापान में अकेलापन बड़ी समस्या बना

जापान की आबादी करीब साढ़े 12 करोड़ हैं, जिसमें 30 प्रतिशत लोग यानी 3 करोड़ 80 लाख लोग 65 साल से ज्यादा उम्र के हैं. उम्र बढ़ने के साथ ही यहां पर अकेलापन भी एक समस्या बनता जा रहा है, जिसकी वजह से जापान सरकार ने पिछले साल ही Loneliness Ministry यानी अकेलेपन का मंत्रालय शुरू किया था. ये मंत्रालय अकेले रहने वाले लोगों को सामूहिक गतिविधियों से जोड़ता है, जिससे लोग अकेलापन महसूस ना करें और आत्महत्याओं पर भी अंकुश लगाया जा सके क्योंकि, जापान में अकेलेपन के कारण आत्महत्या के मामलों में वृद्धि हो रही है. 2020 में जापान में 21 हजार लोगों ने आत्महत्या की थी. ये संख्या इसलिए ज़्यादा है क्योंकि जापान एक बहुत छोटा देश है और यहां के लोग आर्थिक रूप से परेशान नहीं हैं, बल्कि वो अकेलेपन से दुखी रहते हैं.

इस अकेलेपन से तंग आकर अब वहां कई बुजुर्ग दुकानों में जाकर चोरी करते हैं ताकि पकड़े जाने पर लोग कम से कम उनसे बात करें. इसके अलावा वहां अकेलेपन से लड़ने के लिए अब लोग Robots का सहारा ले रहे हैं. ये Robots वहां के लोगों से बात करते हैं और उन्हें ये अहसास दिलाते हैं कि वो अकेले नहीं है. हमारे सहयोगी चैनल, WION की Managing Editor Tokyo के एक ऐसे ही अस्पताल में पहुंची, जहां Robots थैरेपी के ज़रिए ऐसे लोगों का इलाज किया जा रहा है, जो अकेलेपन का शिकार हैं. इससे पता चलता है कि अपने देश की आर्थिक तरक्की के लिए जापान के लोगों ने कितनी बड़ी कीमत चुकाई है. 

DNA : जापान कैसे बना दुनिया की Robot Capital?@sudhirchaudhary

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— Zee News (@ZeeNews) May 24, 2022

घरों में उदास बैठे रहते हैं सीनियर सिटीजन

टोक्यो के NOMOTO TAKEO की उम्र 84 वर्ष है. वे अक्सर Wheelchair पर ऐसे ही उदास बैठे रहते है और उत्सुक निगाहों से Robot की तरफ देखते रहते हैं. उस रोबोट का व्यवहार और आवाज एक कुत्ते के जैसी ही है लेकिन ये असली कुत्ता नहीं बल्कि एक Robot है. जापान के Shintomi नर्सिंग सेंटर में आप इस तरह के कई Robots को मरीजों से बात करते हुए और वहां दूसरे काम करते हुए देख सकते हैं.

जापान में ये जगह इसी रोबोट थैरेपी के लिए जानी जाती है. जब ज़ी न्यूज की टीम वहां पहुंची तो ऐसी ही एक थैरेपी चल रही थी, जिसका नेतृत्व PEPPER कर रहा था. बहुत सारे लोगों की तरह हमारे मन में भी यही सवाल था कि किस तरह जापान अपनी बूढ़ी आबादी की देखभाल के लिए आधुनिक Technology और Robotic Dogs का इस्तेमाल करता है. इस दौरान हमने जो देखा, वो Technology की जीत नहीं बल्कि मानवता की हार है.

रोबोट में खुशी ढूंढने को हो रहे मजबूर

इस सेंटर में एक दर्जन से ज्यादा बुज़ुर्ग रहते हैं और इनके लिए ये Robots ही खुशी का एक मुख्य जरिया हैं. इन Robots को ये उसी तरह प्यार करते हैं, जैसे आप अपने पालतू कुत्ते को करते हैं. ऐसा लगता है कि मानो ये किसी जीवित प्राणी को स्पर्श करना चाहते हैं, लेकिन ये सिर्फ धातु के अलावा कुछ भी नहीं है. बेशक Robots इंसानों के जीवन को प्रभावित करते हैं. इनके चलने का तरीका, इनके बाल, सब असली कुत्ते के जैसा है. लेकिन ये सब को पता है कि ये बैटरी से संचालित होने वाले एक उपकरण मात्र हैं, जिनमें ना तो जीवन है और ना ही संवेदनाएं हैं .

मरीजों को इन Robots से बात करते देखकर आपको भी ऐसा लग सकता है कि मानो इन्हें इस बात का अंदाजा ही नहीं है कि ये असली कुत्ते से नहीं बल्कि एक मशीन से अपनी संवदेनाएं व्यक्त कर रहे हैं. ये सब उस देश में हो रहा है, जहां की 30 प्रतिशत आबादी की उम्र 65 वर्ष से ज्यादा है. इनमें से अनेक लोग ऐसे ही नर्सिंग सेंटर में रहने को मजबूर हैं. यहां उनके पास अपनी संवेदनाएं व्यक्त करने के लिए उनकी असली संतानें नहीं बल्कि सिर्फ ये Robots ही हैं.

जापान अपने नागरिकों की बढती आयु की समस्या को और नजरअंदाज नहीं कर सकता लेकिन सवाल ये है कि इस समस्या का हल क्या है? हमारा मकसद इस Technology की आलोचना करना बिल्कुल नहीं है, बल्कि हमारी शिकाय़त उस समाज से है, जो ये समझता है कि आधुनिक Technology उन्हें उनकी सभी ज़िम्मेदारियों से मुक्ति दिला सकती है.

लोगों के बहुत काम आ रही रोबोट तकनीक

ऐसा बिल्कुल नहीं है कि Robots हमारे काम के नहीं हैं. उदाहरण के लिए Honda द्वारा बनाई गई मशीन के बारे में जानिए. इसे आप अपनी कमर पर बांधते हैं ताकि ये आपको चलने में मदद कर सके. जैसे आप बुढापे में चलने के लिए किसी बैसाखी का सहारा लेते हैं. बस फर्क केवल इतना है कि इस मशीन की कीमत आपकी बैसाखी से कहीं ज्यादा है. इसे किराए पर लेने के लिए हर महीने करीब 30 हजार रुपए चुकाने होते हैं

इन मरीजों को देखकर आपको ऐसा बिल्कुल नहीं लगेगा कि ये वही लोग हैं, जिन्होंने जवानी में दिन रात अपनी कड़ी मेहनत से जापान को दुनिया का तीसरा सबसे समृद्ध देश बनाया. इनमें से बहुत से लोग डॉक्टर और इंजीनियर हैं, लेकिन आज ये अकेले ऐसे नर्सिंग सेंटर में रहने को मजबूर हैं, जो जापान में तेजी से बढ़ती हुई अकेलेपन की महामारी का एक और उदाहरण है. अकेलेपन की इस महामारी का इलाज इन नर्सिंग सेंटर्स पर नहीं हो सकता. मानवता, दया और इंसानियत ही इसका इलाज है.

जापानी अर्थव्यवस्था का इंजन बन गए हैं रोबोट

भारत के आम लोगों का Robot से पहली बार परिचय 1980 के दशक में हुआ था, जब दूरदर्शन पर एक नया सीरियल शुरू हुआ था, जिसका नाम था, Giant Robot. ये जापान की एक मशहूर टीवी सीरीज़ थी, जिसे हिंदी में डब किया गया था. हालांकि भारत ने Robotic Technology को कभी उस तरह से नहीं अपनाया, जिस तरह से जापान में इसका विस्तार हुआ. आज जापान पूरी दुनिया की Robot Capital बन चुका है. ये इंडस्ट्री 2035 तक पांच लाख 32 हज़ार करोड़ रुपये की हो सकती है. जब जापान के लोग बूढ़े हो रहे हैं और वहां अकेलापन बढ़ता जा रहा है, तब ये Robots जापान की अर्थव्यवस्था का इंजन बन गए हैं. 

आपको Gakutensoku के बारे में बताते हैं, जिसका जापान के लोगों से पहला परिचय वर्ष 1928 में हुआ. उस समय ये जापान का पहला Humanoid Robot था. यानी एक ऐसा Robot, जो इंसानों की तरह दिखता था. लगभग तीन मीटर ऊंचे और बड़ी बड़ी आंखों वाले इस Robot ने जापान के लोगों को ना सिर्फ़ प्रभावित किया बल्कि Humanoid Robots के प्रति उनकी उत्सुकता को भी बढ़ाया. आज 94 वर्षों के बाद जापान Robotics Industry में ग्लोबल लीडर बन चुका है.

जापान की राजधानी Tokyo को आज Robot Capital भी कहा जाता है. यहां आपको Robot पुलिस मिल जाएगी. Hotels और Restaurants में Robot Waiters काम करते हुए दिख जाएंगे. यहां तक कि इस शहर में अब ऐसे Robots दिखना सामान्य है, जो आपको थैरेपी दे सकते हैं. इन्हें यहां Robot Therapy Dogs कहा जाता है.

इंसानों की तरह कर सकते हैं सारे काम

इंसानों और Robots के बीच इस तरह की Chemistry शायद आपको कहीं और देखने को नहीं मिलेगी. राजधानी Tokyo में आपको हर जगह इस तरह के Robots आसानी से दिख जाएंगे. आप एक और Robot के बारे में जानिए, इसका नाम है, ASIMO. इस Robot को जापान की Honda कम्पनी ने आज से 22 वर्ष पहले बनाया था. ये आज भी उतनी ही कुशलता से काम कर रहा है.

ये सड़क पार करते समय किसी गाड़ी को आते हुए देख कर रुक सकता है. इंसानों की तरह लोगों से हाथ मिला सकता है और ये फुटबॉल खेलने में भी माहिर है. जापान में ऐसे Robots को सिर्फ़ एक मशीन के तौर पर नहीं देखा जाता बल्कि इन्हें जापान का असली Brand Ambassador माना जाता है. उदाहरण के लिए, ASIMO नाम के उस Robot का रुतबा, जापान में एक Celebrity के जैसा है. वर्ष 2014 में ये अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ फुटबॉल खेल चुका है. इसके अलावा ये जर्मनी की पूर्व Chancellor.. Angela Merkel के चेहरे पर भी मुस्कान ला चुका है.

असल में जापान के लोग, पश्चिमी देशों की तरह Robots के इस्तेमाल से नहीं डरते. यहां Robots को लेकर Terminator जैसी कोई डरावनी कहानी या धारणा लोगों के बीच मौजूद नहीं है बल्कि जापान में Robots को उनकी संस्कृति का हिस्सा माना जाता है. वहां के लोगों के लिए ये राष्ट्रीय जुनून की तरह है. Gundam नाम के Robot की जापान में जबरदस्त Fan Following है. इसे अब तक जापान की 50 Television Series, Movies, Japnese Comics और Video Games में देखा जा चुका है.

Gundam रोबोट जापान में बहुत लोकप्रिय

इसके अलावा जापान में बिकने वाली प्लास्टिक की 90 प्रतिशत मूर्तियां Gundam की ही होती है. इसी तरह Astro Boy नाम का ये Robot भी जापान में काफ़ी लोकप्रिय है. ये इंसानों की भावनाओं को समझने वाला एक युवा रोबॉट है. जिसके बारे में जापान के लोग कई वर्षों से पढ़ रहे हैं. यानी जापान के लोग इन Robots में अपने नायकों को देखते हैं. इसीलिए इन Robots के साथ उनका बातचीत करना कोई साधारण बात नहीं है.

कोरोना वायरस की महामारी के दौरान सबसे बड़ी चुनौती थी, Social Distancing का पालन करना. तब ये Robots इस चुनौती का जवाब बन कर आए थे क्योंकि ये अपने काम में काफ़ी कुशल है. ये बिना रुके काम कर सकते हैं. सबसे बड़ी बात, इन Robots के संक्रमित होने का भी ख़तरा नहीं है. वर्ष 2010 में जापान की Robotic Industry 53 हज़ार 200 करोड़ रुपये की थी. जो वर्ष 2035 तक 5 लाख 32 हज़ार करोड़ रुपये की हो सकती है.

जापानी कल्चर का अंग बन गई हैं ये बोलती मशीन

जापान के बाहर आज भी दूसरे देशों में Humanoid Robots के इस्तेमाल को लेकर चिंता जताई गई थी. इन देशों में Industrial Robots का तो इस्तेमाल होता है, लेकिन Humanoid Robots का नहीं. इसके लिए अमेरिका के मशहूर Actor Arnold Schwarzenegger और बड़ी टेक कम्पनियों को ज़िम्मेदार बताया जाता है. सच तो ये है कि जापान को छोड़ कर दुनिया के बाकी देशों ने आज भी Robots को सामान्य रूप से नहीं अपनाया है. जापान में इनका भविष्य काफी सुरक्षित नजर आता है. यही बात जापान को सबसे अलग बनाती है.

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