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DNA with Sudhir Chaudhary: क्या दुनिया में सिनेमा का नया ‘सुपर पावर’ बनने जा रहा भारत? हॉलीवुड से क्या सीख सकता है देश
DNA on Cannes Film Festival and Hollywood: फ्रांस के Cannes शहर में इन दिनों अंतर्राष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल का आयोजन हो रहा है. भारत सरकार ने इस फेस्टिवल में विदेशी फिल्म प्रोडक्शन कम्पनियों को भारत में शूटिंग करने पर 30 प्रतिशत कैश Incenctive देने का ऐलान किया है. यानी भविष्य में अगर कोई विदेशी कम्पनी भारत आकर फिल्म की शूटिंग करती है और उस फिल्म का बजट 100 करोड़ रुपये होता है तो भारत सरकार उस कम्पनी को 30 करोड़ रुपये का कैश Incenctive देगी.
यानी इस बार का Cannes Film Festival कई मायनों में खास है. इस Festival में पहली बार भारत को Country of Honour का सम्मान दिया गया है. इस बार इस Festival में अलग से Indian Pavilion भी बनाया गया है, जहां भारत की ‘सिनेमा वाली सांस्कृतिक शक्ति’ का प्रदर्शन किया जा रहा है. और बड़ी बात ये है कि केन्द्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर खुद इस फेस्टिवल में पहुंचे हुए हैं, जो भारत के लिए गर्व करने की बात है.
अमेरिका ने हॉलीवुड का किया इस्तेमाल
हालांकि आज भारत को अमेरिका से शिक्षा लेनी चाहिए, जिसने हॉलीवुड की फिल्मों की वजह से पूरी दुनिया में खुद को सुपरपावर के तौर पर स्थापित कर लिया. लेकिन दूसरी तरफ़ हमारी फिल्में मनोरजंक तो बहुत होती हैं. उनमें नाच गाना और Emotions सबकुछ होता है. लेकिन क्या बॉलीवुड की फिल्में भारत की Branding कर रही हैं? वो हमारी संस्कृति, संगीत और कला को तो पूरी दुनिया तक पहुंचा रही हैं, लेकिन एक शक्तिशाली देश के रूप में भारत की छवि बनाने के लिए कुछ नहीं कर रहीं. आज यही बात हम आपको बताना चाहते है
आपको याद होगा पिछले साल तालिबान के आतंकवादियों ने अमेरिका के सैनिकों को अफगानिस्तान से भागने के लिए मजबूर कर दिया था. अमेरिका 20 साल में भी अफगानिस्तान से तालिबान को समाप्त नहीं कर पाया. लेकिन क्या इस हार से दुनिया में अमेरिका की जो सुपरपावर वाली छवि है, उसे कोई नुकसान पहुंचा? तो इसका जवाब है नहीं. इससे अमेरिका को कोई नुकसान नहीं हुआ. ऐसा इसलिए नहीं हुआ क्योंकि हॉलीवुड की फिल्मों ने दुनियाभर के लोगों के दिमाग़ में ये बात बैठा दी कि अमेरिका एक ऐसा देश है, जो कभी भी पराजित नहीं हो सकता. जबकि सच इसके बिल्कुल विपरीत है. यानी अमेरिका ने हॉलीवुड को एक Soft Power की तरह इस्तेमाल किया. जबकि बॉलीवुड कभी हमारे देश की शैडो नहीं बन पाया.
जैसे अमेरिका ने अफगानिस्तान में तालिबान के खिलाफ़ अपने सैनिकों को लड़ने के लिए भेजा तो हॉलीवुड में इस पर कई बड़ी फिल्में बनाई गईं. इनमें एक फिल्म ओसामा बिन लादेन पर आधारित थी, जिसमें अमेरिका के सैनिकों की बहादुरी दिखाई गई थी. इस फिल्म का नाम था, ओसामा. इसके अलावा हॉलीवुड ने Zero Dark Thirty, The Outpost, 12 Strong और Lone Survivor नाम से भी फिल्में बनाई, जिनमें ये दिखाया गया कि कैसे अमेरिका के सैनिक अफगानिस्तान में तालिबान का सफाया कर रहे हैं और वहां के स्थानीय लोगों के मानव अधिकारों की रक्षा कर रहे हैं.
अपनी शक्ति दिखाने के बनाई कई फिल्में
इराक युद्ध के समय भी हॉलीवुड ने इस तरह की कई फिल्में बनाईं, जो ये बताती हैं कि दुश्मन चाहे कितना भी खतरनाक हो, अमेरिका के सैनिक हर चुनौती और युद्ध को जीत सकते हैं. इनमें American Sniper, The Hurt Locker और War Dogs जैसी फिल्में प्रमुख हैं. इसी तरह वियतनाम युद्ध पर भी हॉलीवुड ने कई फिल्में बनाईं, जो अमेरिका को दुनिया की इकलौती महाशक्ति के तौर पर स्थापित करती हैं. दूसरे विश्व युद्ध के बाद सोवियत संघ से लड़े गए Cold War पर भी हॉलीवुड कई फिल्में बना चुका हैं.
कहने का मतलब ये है कि अमेरिका जो कुछ भी करता है, हॉलीवुड उसमें उसकी शैडो यानी परछाई बन जाता है. उसकी Soft Power के रूप में काम करता है. Soft Power का मतलब है, किसी भी देश की वो क्षमता, जिसमें बिना ताकत या धमकी का इस्तेमाल किए ही दूसरे देशों की सोच को बदल दिया जाए और उन्हें अपने पक्ष में कर लिया जाए. अमेरिका के राजनीतिक विचारक Joseph Nye (जोसेफ न्ये) ने Soft Power के फॉर्मूले को वर्ष 1990 में लोकप्रिय बनाया था. आज के जमाने में Mobile Apps और Data चीन की Soft Power वाली शक्ति को बढ़ा रहे हैं. लेकिन वर्षों पहले ये काम फिल्मों की मदद से होता था और अमेरिका इस पॉलिसी का ग्लोबल लीडर है.
असल में Hollywood की फिल्में अमेरिका की संस्कृति और आदर्शों का प्रचार पूरी दुनिया में करती हैं. इन फिल्मों को देखकर शायद आप भी अमेरिका की ताकत और वहां इस्तेमाल की जानेवाली तकनीक के प्रशंसक बन गए होंगे.
फिल्मों में अमेरिका सेना के हथियार दिखाने की अनुमति
Alien यानी दूसरे ग्रह से आए जीव, Hollywood का एक Favourite विषय है. इन फिल्मों में भी कहानी का केंद्र अमेरिका ही होता है. आपने देखा होगा कि Aliens अमेरिका पर हमला करते हैं और फिर फिल्म का हीरो और अमेरिका की सेना मिलकर इन्हें पराजित कर देते हैं. अपनी सैन्य शक्ति दिखाने के लिए अमेरिकी सरकार, सेना के नए हथियार और युद्धपोत को इन फिल्मों की शूटिंग में इस्तेमाल करने की इजाजत देती है.
पृथ्वी के खिलाफ अगर कोई भी साजिश होती है तो अमेरिका के Superman, Spider-Man और Iron Man जैसे सुपरहीरो उसका मुकाबला करते हैं. कई बार ऐसी फिल्मों में अमेरिका के बड़े स्मारक जैसे White House पर भी हमला होता है. इन फिल्मों की कहानी में अमेरिका का मतलब होता है ऐसी महाशक्ति, जो किसी को भी पराजित कर सकती है.
तकनीक के मामले में अमेरिका दुनिया में सबसे आगे है और इसकी तारीफ फिल्मों में भी होती है. Hollywood की फिल्म का हीरो कुछ ही वक्त में मंगल ग्रह पर पहुंच जाता है. ये फिल्में अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी NASA की Branding करने का काम करती हैं.
दुनिया में कर रहा अपनी एजेंसियों की ब्रांडिंग
हॉलीवुड की इन फिल्मों का ही नतीजा है कि आज दुनिया के ज्यादातर लोग ये तो बता सकते हैं कि अमेरिका की स्पेस एजेंसी NASA है, लेकिन उन्हें शायद ये नहीं पता होगा कि रशिया की स्पेस एजेंसी का नाम क्या है? रशिया की स्पेस एजेंसी का नाम है, Roskosmos (रॉस-कॉसमॉस) . क्या आपको पता है कि चीन की स्पेस एजेंसी का क्या नाम है? इसका नाम है, China National Space Administration. ब्रिटेन की स्पेस एजेंसी का नाम भी आपको पता नहीं होगा. इसका नाम है, UK Space Agency और भारत की स्पेस एजेंसी का नाम है, ISRO. हालांकि हमारे देश में आपको ऐसे काफ़ी लोग मिल जाएंगे, जो ISRO से ज्यादा NASA के बारे में जानते हैं और ये सबकुछ हॉलीवुड की वजह से हुआ है.
अमेरिका के रक्षा मंत्रालय में वर्ष 1948 से ही Hollywood के साथ सहयोग करने के लिए एक डिपार्टमेंट मौजूद है. वर्ष 1911 से 2017 के बीच अमेरिका के रक्षा मंत्रालय ने 800 से ज्यादा फिल्मों और वर्ष 2005 से 2020 तक 1100 से ज्यादा टीवी Shows को बनाने में मदद दी है और वर्ष 2015 से 2018 के बीच 43 फिल्मों को 8 हजार 600 करोड़ रुपए की टैक्स में छूट दी गई है.
अपना वैश्विक प्रभाव बढ़ाता रहा अमेरिका
दुनिया के लगभग सभी देशों में ये फिल्में और टीवी Shows देखे जाते हैं. इनमें वो देश भी शामिल हैं जिनके अमेरिका के साथ अच्छे संबंध नहीं हैं. लेकिन वहां भी लोग इसे देखकर खुश होते हैं और अमेरिका की जीत पर तालियां बजाते हैं. इन फिल्मों को देखकर ही दुनिया के कई देशों के युवा अमेरिका को सपने पूरे करने वाला देश मानते हैं. आपको ये पता होगा कि अमेरिका की वायु सेना के पास F-16 Fighet Jet है, आधुनिक युद्धपोत हैं लेकिन भारत, चीन और रशिया की वायु सेना के पास कौन से आधुनिक लड़ाकू विमान हैं, लोगों को ये नहीं पता.
हॉलीवुड की फिल्मों का बजट हज़ारों करोड़ रुपये में होता है. ये फिल्में अब भारत में हिन्दी फिल्मों से भी ज्यादा पैसा कमा कर रही हैं. वर्ष 2019 में हॉलीवुड की एक फिल्म आई थी, जिसका नाम था, Avengers Endgame. इस फिल्म ने तब भारत में 373 करोड़ रुपये कमाए थे. ये हॉलीवुड की भारत में सबसे ज्यादा कलेक्शन करने वाली फिल्म है. यानी हॉलीवुड की फिल्में भारत में ही हिन्दी फिल्मों को कमजोर साबित कर रही हैं. बॉलीवुड की फिल्में मनोरंजक होती है लेकिन ये भारत की एक मजबूत देश के रूप में ब्रैंडिंग नहीं करती.
यानी हॉलीवुड की तुलना में हमारा बॉलीवुड काफ़ी पीछे रह गया. और असल में बॉलीवुड ने भारत की परछाई बनने की कभी कोशिश ही नहीं की. इसने दुनिया में केवल हमारी सांस्कृति छवि बनाई. लेकिन बॉलीवुड हमारी शक्ति को स्थापित नहीं कर पाया. लेकिन Cannes Film Festival में पहली बार भारत के सिनेमा की ताकत दिख रही है. हम दुनिया को बता रहे हैं कि भारत सिनेमा में भी एक बड़ी सुपरपावर है.