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DNA Analysis: आपके किचन तक पहुंचा यूक्रेन-रूस युद्ध का असर, दुनिया में पैदा हुआ खाद्य तेल का संकट

DNA Analysis: दुनिया भर में खाने के तेल का गंभीर संकट हो गया है. इसका सीधा मतलब ये है कि अगले कुछ दिनों में आपके घर में आने वाले खाद्य तेल की किल्लत हो सकती है और अब वो पहले से ज्यादा महंगा भी हो सकता है. यानी इसका सीधा असर आपके रसोई के बजट पर पड़ेगा. आज आपको समझना चाहिए कि आखिर दुनिया पर अचानक खाद्य तेल का संकट कैसे खड़ा हो गया.

कैसे खड़ा हुआ खाद्य तेल का संकट?

दुनिया के सबसे बड़े पाम ऑयल उत्पादक देश ने एक्सपोर्ट पर रोक लगा दी है. सूरजमुखी तेल का सबसे बड़ा एक्सपोर्टर देश युद्ध लड़ रहा है. सोयाबीन तेल के उत्पादक देश जलवायु परिवर्तन के गंभीर सकंट से लड़ रहे हैं. ऐसे में सोचिए आपको खाद्य तेल कहां से मिलेगा? आपके घर की रसोई में खाना कैसे पकेगा?

क्या हैं इससे निपटे के उपाय?

हो सकता है आपको तला भुना भोजन पसंद न हो, लेकिन अगर आपको सलाद पसंद है तो उसकी ड्रेसिंग के लिए तेल की आवश्कता होगी. उसमें अगर आप Mayonnaise डालते हैं तो उसे बनाने के लिए भी तेल चाहिए. अगर आप कुछ बेक करना चाहते हैं तो उसके लिए भी तेल चाहिए. कुकीज, पेटीज या फिर पिज्जा का आटा तैयार करना हो या फिर कम तेल के लिए आप एयर फ्रायर में खाना पकाते हों उसके लिए भी आपको तेल जरूर चाहिए. ऐसे में इस संकट से निपटने के लिए आप क्या करेंगे? क्या आपको खाद्य तेल की ढेर सारी बोतलें और जार खरीदकर स्टॉक कर लेना चाहिए? इसे समझने के लिए आपको खाद्य तेलों पर दुनिया की मौजूदा स्थिति को समझना होगा.

रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से बढ़ा संकट

यूक्रेन सूरजमुखी के तेल का विश्व में सबसे बड़ा एक्सपोर्टर है और हर साल यूक्रेन से सारी दुनिया को 54 लाख टन सूरजमुखी के तेल का निर्यात किया जाता है. ये दुनिया में सूरजमुखी के कुल उत्पादन का करीब आधा है, लेकिन यूक्रेन में इस समय युद्ध छिड़ा हुआ है और इसी वजह से सूरजमुखी के तेल के निर्यात में उसने बड़ी कटौती की है.

दुनिया के 25 फीसदी सूरजमुखी तेल का उत्पादन रूस में होता है और वह यूक्रेन से युद्ध लड़ रहा है. इसकी वजह से वहां से भी दुनिया को होने वाली सूरजमुखी तेल की सप्लाई पर बुरा असर पड़ा है.

इसी तरह Canola oil का सबसे बड़ा उत्पादक कनाडा है, लेकिन वहां पिछले साल भीषण गर्मी पड़ी थी और इसकी वजह से Canola की फसल को बहुत नुकसान हुआ. इसका सीधा मतलब है कि वहां पर पैदावार कम हुई है और इसीलिए Canola oil का निर्यात भी कम हुआ है.

भीषण सूखा और कोरोना ने भी बढ़ाई मुसीबत

अर्जेंटीना, ब्राजील और पराग्वे ये तीनों देश, सोयाबीन तेल के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक हैं, लेकिन ये तीनों ही देश भीषण सूखे की आपदा झेल रहे हैं और इसीलिए यहां भी सोयाबीन तेल का उत्पादन बेहद कम हुआ है.

मलेशिया Palm oil का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक देश है. कोरोना के बाद से मलेशिया में Palm oil के किसानों को मजदूर नहीं मिल रहे हैं और इसी वजह से वहां पर उत्पादन में कमी आई है और इसका सीधा असर Palm oil के निर्यात पर पड़ा है.

संकट बढ़ाने में इंडोनेशिया का बड़ा हाथ

Palm oil के संकट को और ज्यादा बड़ा करने में इंडोनेशिया का भी बड़ा हाथ है. इंडोनेशिया Palm oil का सबसे बड़ा निर्यातक देश है और दुनिया को पाम ऑयल की जरूरत का करीब एक तिहाई हिस्सा यानी करीब 30 मिलियन टन इंडोनेशिया से ही मिलता है, लेकिन 28 अप्रैल से इंडोनेशिया ने भी Palm oil के निर्यात पर रोक लगा दी है.

इसके पीछे इंडोनेशिया में बढ़ी महंगाई हैं. वहां खाने पीने की चीजें महंगी हो गई हैं.  Palm oil का सबसे बड़ा उत्पादक होने के बावजूद वहां कीमतें 40 प्रतिशत तक बढ़ गई तो लोगों ने इसका विरोध शुरू कर दिया. इसके अलावा इंडोनेशिया मुस्लिम बहुल देश है और अभी वहां ईद की तैयारियां हो रही हैं, ऐसे में कोई भी सरकार अपने लोगों को नाराज नहीं करना चाहेगी. शायद इन्ही कारणों से घरेलू बाजार में कीमतें नियंत्रित करने के लिए इंडोनेशिया सरकार ने Palm oil के निर्यात पर रोक लगा दी.

भारत खाद्य तेल आयात करने वाला सबसे बड़ा देश

भारत को Palm oil की कुल जरूरत का करीब 50 फीसदी हिस्सा इंडोनेशिया से ही आता है, लेकिन इंडोनेशिया ने निर्यात पर रोक लगा दी. आपको जानना चाहिए कि दुनिया से खाद्य तेल आयात करने वाला सबसे बड़ा देश भारत है और हर साल दूसरे देशों से करीब 13 मिलियन टन खाद्य तेल भारत आता है. इसमें 60 फीसदी Palm oil है, 25 फीसदी सोयाबीन तेल और 12 फीसदी हिस्सा सूरजमुखी तेल का है.

क्यों इतनी मात्रा में खाद्य तेल आयात करता है भारत?

आप सोच सकते हैं कि आखिर भारत विदेशों से इतना ज्यादा खाद्य तेल क्यों आयात करता है तो उसके पीछे वजह है ज्यादा डिमांड और उसकी तुलना में उत्पादन का कम होना.भारत में एक व्यक्ति हर वर्ष 19 किलोग्राम खाद्य तेल का इस्तेमाल करता है. सबसे बड़ा सवाल ये है कि जब सारी दुनिया में खाद्य तेल की आपूर्ति प्रभावित है तो भारत को खाद्य तेल कहां से मिलेगा? भारत के पास इसके क्या विकल्प हैं?

मलेशिया Palm oil का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक देश है. उसके बाद नीदरलैंड्स, जर्मनी और एस्टोनिया में सबसे ज्यादा Palm oil का उत्पादन होता है, लेकिन मांग इतनी ज्यादा है कि ये चारों यानी मलेशिया, नीदरलैंड्स, जर्मनी और एस्टोनिया मिलकर भी इंडोनेशिया से निर्यात बंद होने से हुए नुकसान को पूरा नहीं कर सकते.

खाद्य तेल की कीमतें बढ़नी तय

मांग की तुलना में आपूर्ति बेहद कम है इसका सीधा मतलब ये है कि खाद्य तेल की कीमतें बढ़नी तय है. विशेषज्ञ भी मानते हैं कि कीमतें कम से कम 20 प्रतिशत तक बढ़ सकती हैं और इसका सीधा असर भारत और दूसरे विकासशील देशों के आम लोगों पर पड़ेगा. भारत की एक बड़ी आबादी सस्ते खाद्य तेल पर निर्भर है और उनके लिए Palm oil ही सबसे सस्ता खाद्य तेल है. ये  सूरजमुखी, जैतून, सोयाबीन और कैनोला ऑयल के मुकाबले सस्ता पड़ता है. ऐसे में Palm Oil की सप्लाई प्रभावित होने पर उसके दाम बढ़ेंगे, उसकी किल्लत भी हो सकती है और इसका सीधा असर आम लोगों पर पड़ेगा.

अमेरिका को भी परेशान कर रहा है महंगा तेल

अमेरिका जैसे देशों को भी महंगा तेल परेशान कर रहा है. अमेरिका में सोयाबीन का तेल पहले ही महंगा हो चुका है और कई दूसरे देशों में भी उसकी कीमतें बढ़ी हैं. इंडोनेशिया से Palm Oil के निर्यात पर रोक के बाद से एशिया में Palm oil के दाम 50 फीसदी तक बढ़ गए हैं. यूरोप में कैनोला ऑयल 55 फीसदी महंगा हुआ है. इसी वर्ष मार्च में पूरी दुनिया में वनस्पति तेल की कीमतें 23 फीसदी तक बढ़ी हैं  और ये अभी और ज्यादा बढ़ सकती हैं.

तो अब आपको क्या करना चाहिए?

क्या खाने का तेल और महंगा हो इससे बचने के लिए ढेर सारा तेल खरीदकर घर में रख लेना चाहिए? लेकिन पैनिक बाइंग करना कभी भी अच्छा तरीका नहीं कहा जा सकता. इस संकट से बचने के लिए यूके में सुपर मार्केट में Cooking oil पर RATIONING (जमाखोरी पर रोक) शुरू कर दी गई है. सूरजमुखी, जैतून, कैनोला ऑयल सभी को वहां पर सीमित मात्रा में ही ग्राहकों को दिया जा रहा है यानी आप जरूरत से ज्यादा खाद्य तेल नहीं खरीद सकते हैं. कुछ जगहों पर दो एक ग्राहक को कुकिंग ऑयल के सिर्फ दो ही पैक दिए जा रहे हैं. उससे ज्यादा आप नहीं ले सकते. ब्रिटेन के अलावा जर्मनी, इटली, तुर्की, स्पेन भी तेल की RATIONING कर रहे हैं.

इस संकट से बचने का उपाय क्या है?

आप सोच रहे होंगे कि आखिर इस संकट से बचने का उपाय क्या है? विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर खाद्य तेलों की आपूर्ति में तुरंत अंतर लाना है तो बायो फ्यूल में प्रयोग किए जाने वाले खाद्य तेलों पर रोक लगानी चाहिए. अगर फिलहाल बायो फ्यूल का उत्पादन बंद कर दिया जाए तो दुनिया में करीब 15 फीसदी खाद्य तेलों की आपूर्ति बढ़ सकती है.

लेकिन सवाल ये है कि क्या बायो फ्यूल इस्तेमाल करने वाले देश इस पर सहमत होंगे और इससे भी महत्वपूर्ण बात ये है कि क्या इतना करना काफी होगा. इसे दूर करने का क्या कोई रास्ता है? आप कह सकते हैं कि दुनिया पर आए संकट से हमें भी नुकसान होगा और अब सरकारों के सामने चुनौती है कि वो इस संकट से कैसे निपटती हैं.

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