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Belarus vs Poland: क्या दो देशों की ‘आग’ दुनिया को जलाएगी? कहीं ये तीसरे विश्व युद्ध का ट्रेलर तो नहीं?

नई दिल्ली: पोलैंड और बेलारूस (Poland and Belarus) के बीच का तनाव क्या तीसरे विश्वयुद्ध के आरंभ की वजह बन सकता है? ये सवाल इसलिए, क्योंकि पोलैंड और बेलारूस के बॉर्डर पर शरणार्थियों को लेकर विवाद इतना बढ़ चुका है कि टैंक और मिसाइलें तक तैनात कर दी गई हैं और परमाणु हमले की धमकी दी जा रही है. आज हम आपको आसान भाषा में समझाएंगे कि क्या यूरोप में युद्ध होने वाला है? क्या ये तनाव विश्व युद्ध में बदलने वाला है? और इस वक्त दोनों देशों के बीच बॉर्डर पर क्या हालात हैं?

दूसरे विश्व युद्ध की यादें हुईं ताजा

अब क्योंकि इस विवाद में पोलैंड का नाम भी है तो लोगों के जेहन में दूसरे विश्व युद्ध की यादें ताजा हो सकती हैं. आपने पढ़ा होगा कि दूसरे विश्व युद्ध की शुरुआत पोलैंड से ही हुई थी. 1 सितंबर 1939 को जर्मनी ने पोलैंड पर हमला कर दिया. इस हमले के दो दिन बाद फ्रांस और ब्रिटेन ने जर्मनी के खिलाफ युद्ध की घोषणा कर दी और वो युद्ध विश्व युद्ध में बदल गया था. इस बार पोलैंड के सामने बेलारूस है, जो रूस का दोस्त है.

पोलैंड वही, तनाव नया

पोलैंड और बेलारूस (Poland and Belarus) के बीच बॉर्डर पर घमासान मचा है. बॉर्डर पर शरणार्थियों की भीड़ है और ये इलाका बेलारूस में पड़ता है. बीच में लंबी फेंसिंग है, जिसकी दूसरी तरफ पोलैंड है. बॉर्डर पर पोलैंड के सुरक्षाकर्मी घेरा बनाकर तैनात हैं और हथियार सामने खड़ी भीड़ पर तने हैं. इसके अलावा शरणार्थियों के खिलाफ वॉटरकैनन का इस्तेमाल किया जा रहा है. भीड़ को तितर-बितर करने के लिए इन्हें बॉर्डर क्रॉस करने से रोकने के लिए वाटर अटैक हो रहा. बॉर्डर पर शरणार्थियों की भीड़ में बच्चे भी हैं और महिलाएं भी.

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ये लोग कई किलोमीटर का रास्ता पैदल तय कर बॉर्डर पहुंचे. इन्हें उम्मीद थी कि बॉर्डर पार कर पोलैंड और दूसरे यूरोपीय देशों में आसानी से प्रवेश कर पाएंगे, लेकिन इनकी उम्मीदों के आगे बॉर्डर पर कटीले तारों की ऊंची दीवार खड़ी हो गई. इन दीवारों को हटाने की साजिश भी हुई. रात के अंधेरे में शरणार्थियों का एक ग्रुप कटीले तारों को काटते दिखा. टॉर्च की रोशनी में पोलैंड की फेंसिंग से रास्ता बनाने की कोशिश की गई. शरणार्थियों के पास सीढ़ियां भी थीं, जिसपर चढ़कर वो बॉर्डर के उस पार जा सकें, लेकिन पोलैंड के सुरक्षाकर्मी पहले से सावधान थे. कई बार सुरक्षाकर्मियों और शरणार्थियों में झड़प भी हुई. भीड़ ने पत्थर भी फेंके.

क्या है इसके पीछे की असली कहानी?

बॉर्डर पर शरणार्थियों की भीड़ कोई मामूली बात नहीं है. ये विश्व युद्ध की वजह भी बन सकती है, क्योंकि इस भीड़ की वजह से पोलैंड ने बॉर्डर के पास अपने टैंक तैनात कर दिए हैं और मिसाइलें निकाल लीं. पोलैंड ने 15000 सैनिक तैनात कर दिए है. पोलैंड का आरोप है कि बेलारूस ने उसके खिलाफ साजिशन शरणार्थियों का इस्तेमाल किया है. पोलैंड के सुरक्षाबल की ओर से दावा किया गया कि शरणार्थियों को घुसपैठ कराने के लिए बेलारूस उनकी मदद कर रहा है. शरणार्थियों को वो सारे उपकरण मुहैया कराए गए, जिनसे वो बॉर्डर पार कर पोलैंड में घुसपैठ कर सकें.

ये शरणार्थी, इराक, सीरिया और अफगानिस्तान जैसे देशों के बताए जा रहे हैं. वहीं, बेलारूस के राष्ट्रपति एलेक्जेंडर लुकाशेंको ने रशियन मीडिया को दिए इंटरव्यू में परमाणु युद्ध के संकेत दिए. उन्होंने कहा कि बेलारूस, रूस से परमाणु मिसाइल सिस्टम खरीदने की कोशिश कर रहा है, जिसे वो दक्षिणी और पश्चिमी बॉर्डर पर तैनात करना चाहता है. बेलारूस के दक्षिण में यूक्रेन है और पश्चिम में पोलैंड है. ये दोनों देश बेलारूस के साथ-साथ रूस के भी दुश्मन हैं.

विश्व युद्ध में बदल सकता है दो देशों का तनाव

यानी शरणार्थियों के मुद्दे पर पोलैंड और बेलारूस के बीच शुरू हुई बात टैंक से परमाणु मिसाइल तक पहुंच गई. अब सवाल है कि क्या बात इससे आगे बढ़ेगी और क्या यूरोप में युद्ध होगा? दो देशों के बीच का तनाव, रूस, फ्रांस और ब्रिटेन से लेकर अमेरिका तक पहुंच गया है. अब बेलारूस बनाम पोलैंड की लड़ाई रूस बनाम अमेरिका में बदलने लगी है. पोलैंड 27 देशों के संगठन यूरोपीय यूनियन का सदस्य है, जबकि बेलारूस के साथ रूस की मित्रता इतनी ही गहरी है, जितनी ब्रिटेन की अमेरिका से है. यानी अगर बेलारूस और पोलैंड के बीच युद्ध हुआ तो दुनिया दो खेमों में बंट जाएगी. पोलैंड को अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी समेत पूरे यूरोपीय यूनियन का साथ मिल सकता है और बेलारूस को रूस की मदद मिल सकती है. यानी दो देशों का तनाव विश्व युद्ध में बदल सकता है.

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युद्ध हुआ तो दो खेमे में कौन-कौन होगा?

अगर बेलारूस और पोलैंड में युद्ध हुआ तो फिर दो खेमे में कौन-कौन होंगे? जहां तक पश्चिमी देशों का सवाल है तो वो मौजूदा तनाव के लिए भी बेलारूस को मोहरा और रूस को मास्टरमाइंड बता रहे हैं, जबकि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन कई बार कह चुके हैं कि पोलैंड और बेलारूस के बीच तनाव से उनका कोई संबंध नहीं है. अब जानना ये जरूरी है कि क्या वाकई बेलारूस और पोलैंड के मामले में रूस का हाथ नहीं है? या फिर रूस के खिलाफ पश्चिमी देशों की ये एक सोची-समझी साजिश है?

इसी साल जून महीने में जिनेवा समिट के दौरान व्लादिमीर पुतिन और अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन की मुलाकात हुई थी. दोनों के बीच हुई बैठक में बेलारूस का भी मुद्दा उठा था. बाइडेन की नाराजगी इस बात से थी कि रूस और बेलारूस के राष्ट्रपति का साथ क्यों दे रहा है. जबकि पश्चिमी देशों ने बेलारूस पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए हुए हैं. अमेरिका और यूरोपीय यूनियन का आरोप है कि अलेक्जेंडर लुकाशेंको चुनाव में धांधली करके बेलारूस के राष्ट्रपति बने.

खैर, इस बैठक के तीन महीने बाद ही सितंबर महीने में रूस और बेलारूस एकसाथ युद्धाभ्यास करते दिखे और ये युद्धाभ्यास भी बेलारूस के पश्चिम में बॉर्डर के पास आयोजित हुआ था. यानी पोलैंड बॉर्डर के पास. इस युद्धाभ्यास में लड़ाकू रोबोट्स, ड्रोन, लड़ाकू हेलीकॉप्टर के साथ कई अत्याधुनिक अस्त्र-शस्त्र शामिल किए गए थे. रूस का सीधा संदेश ये है कि वो बेलारूस का साथ नहीं छोड़ेगा. फिर चाहे अमेरिका और ब्रिटेन को अच्छा लगे या बुरा.

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